Atul ki Khaniyan: रजनीश ने 52 साल पहले वो शहर छोड़ दिया, जहां वो पढ़े, बढ़े; एक दिग्गज व्यंग्यकार ने ओशो को दुनिया को सबसे बड़ा फ्रॉड बताया था

The Sootr 2022-07-16

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रजनीश मोहन जैन यानी आचार्य रजनीश ने आज से ठीक 52 साल पहले 30 जून 1970 को जबलपुर को अलविदा कह दिया था। जब वे जबलपुर छोड़ कर बंबई जा रहे थे, तब उन्होंने जबलपुर की तारीफ करते हुए कहा था कि वे यहीं पनपे हैं, यहां पढ़े हैं, यहीं बढ़े हैं। उन्होंने कहा था कि पेड़ जितना ऊंचा चले जाएं, आसमान छूने लगे, लेकिन जड़ें तो उसकी जमीन में रहती हैं। जबलपुर में मेरी जड़ें हैं, इसलिए इस शहर में आता रहूंगा। इसके बाद वे जो जबलपुर से गए तो फिर कभी यहां नहीं लौटै। कृष्ण की तरह। कृष्ण भी जब भी जहां से गए, वहां लौटकर नहीं आए। रजनीश का भाषण 1970 में उनके जबलपुर छोड़ने से दो दिन पहले यानी 28 जून का हुआ था। रजनीश के जबलपुर को अलविदा कहने पर अखबार नवभारत ने हेड‍िंग लगाई थी- ‘’और सुकरात चला गया।‘’

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