मुहर्रम गम और मातम का महीना है, जिसे इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है। यानी मुहर्रम इस्लाम के नए साल या हिजरी सन् का शुरुआती महीना है। मुहर्रम बकरीद के पर्व के 20 दिनों के बाद मनाया जाता है। इस बार मुहर्रम का महीना 31 जुलाई से शुरू हुआ है। ऐसे में 8 या 9 अगस्त को आशूरा या मुहर्रम मनाया जाएगा। इस्लाम धर्म के लोगों के लिए यह महीना बहुत अहम होता है, क्योंकि इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। उनकी शहादत की याद में मुहर्रम के महीने के दसवें दिन को लोग मातम के तौर पर मनाते हैं, जिसे आशूरा भी कहा जाता है। चलिए जानते हैं मुस्लिम धर्म के दूसरे सबसे पवित्र माह मुहर्रम क्यों मनाया जाता है ।
Muharram is the month of sorrow and mourning, which is celebrated by the followers of Islam. According to the Islamic calendar, Muharram is the first month of Islam. That is, Muharram is the beginning month of the new year of Islam or Hijri year. Muharram is celebrated 20 days after the festival of Bakrid. This time the month of Muharram has started from 31st July. In such a situation, Ashura or Muharram will be celebrated on 8 or 9 August. This month is very important for the people of Islam, because in this month the martyrdom of Hazrat Imam Hussain took place. Hazrat Imam Hussain was the younger grandson of the founder of Islam, Hazrat Muhammad. In memory of his martyrdom, on the tenth day of the month of Muharram, people observe mourning, which is also known as Ashura. Let us know why Muharram, the second holiest month of Muslim religion, is celebrated.
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