श्री राधा अष्टमी भगवान कृष्ण भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) के महीने में शुक्ल पक्ष के आठवें दिन पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि राधा भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी को वृषभानुपुरी में राजा वृषभ भानु और उनकी पत्नी कीर्तिदा के घर पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं। कुछ पुस्तकों से संकेत मिलता है कि कीर्तिदा ने राधा को जन्म नहीं दिया था, लेकिन वह एक यज्ञ में दिखाई दी थी जो किसी युगल द्वारा आयोजित की गई थी। लोग राधा अष्टमी के दिन राधा रानी के पवित्र चरणों के दर्शन करते हैं। देशभर में धूमधाम के साथ भक्त राधाष्टमी का त्योहार मनाते हैं। लेकिन विशेषकर मथुरा,वृंदावन और बरसाना में राधाष्टमी के दिन विशेष आयोजन किए जाते हैं और धूमधाम से इसे मनाया जाता है। राधाष्टमी के दिन विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। लेकिन राधा अष्टमी के व्रत को लेकर कुछ विशेष नियम हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वो नियम .
Shri Radha Ashtami is a major festival celebrated by Lord Krishna devotees. It falls on the eighth day of Shukla Paksha in the month of Bhadrapada (August-September). It is believed that Radha appeared on earth on Bhadrapada Shukla Paksha Ashtami at Vrishabhanupuri at the home of King Vrishabha Bhanu and his wife Kirtida. Some books indicate that Kirtida did not give birth to Radha, but she appeared in a yagna which was organized by a couple. People visit the holy feet of Radha Rani on the day of Radha Ashtami. Devotees celebrate the festival of Radhashtami with great pomp across the country. But especially in Mathura, Vrindavan and Barsana special events are organized on the day of Radhashtami and it is celebrated with pomp. On the day of Radhashtami, by worshiping according to the law, happiness and prosperity in life, Peace and happiness come. But there are some special rules regarding the fast of Radha Ashtami. Let's know what are those rules .
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