तकनीकी के इस युग में भी कुम्भकार अपनी सैंकड़ो साल पुरानी परम्परा को जीवित रखे हुए है। अलवर शहर में ज्यादातार चाक बिजली से चलने वाले है लेकिन कुछ कुम्भकार आज भी दादा और परदादा के लगभग 100 से 150 वर्ष पुराने चाक को डंडे से घुमाकर मिट्टी के दीपक व अन्य सामान बना रहे है। दीपावली