Supreme Court judgement on freedom of speech for MLAs, MPs: नोटबंदी (Demonetisation) पर फैसले के दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अभिव्यक्ति की आजादी के मामले पर बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी मंत्री, सांसद या विधायक के बयान के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि नोटबंदी पर फैसले की तरह पीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना (Justice B V nagarathna) ने इस मामले में भी एक अलग आदेश लिखा। उन्होंने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक अधिकार है ताकि नागरिकों को शासन के बारे में अच्छी तरह जानकारी हो।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि नफरत फैलाने वाला भाषण हमारे संविधान के मूलभूत मूल्यों पर प्रहार करता है। अगर कोई मंत्री अपने बयान में अपमानजनक टिप्पणी करता है तो इस तरह के बयानों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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