Joshimath में आरही दरारों का कारण है सरकारी परियोजनाएं? NTCP | Uttarakhand Landslide | Pushkar Dhami

HW News Network 2023-01-09

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"उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक और भूगर्भशास्त्री पीयूष रौतेला ने द टेलीग्राफ़ अख़बार को बताया है कि जोशीमठ की ज़मीन के नीचे क्या चल रहा है. पीयूष रौतेला ने बताया कि दो से तीन जनवरी की दरमियानी रात को भूगर्भीय जल स्रोत फटने की वजह से जोशीमठ के घरों में दरारें आना शुरू हो गयी हैं.

उन्होंने आगे कहा की, ""इस भूगर्भीय जल स्रोत से हर मिनट चार से पांच सौ लीटर पानी निकल रहा है. इस बर्फ़ीले पानी की वजह से भूगर्भीय चट्टान का क्षरण हो रहा है. अब तक ये नहीं पता है कि इस भूगर्भीय जल स्रोत का आकार कितना बड़ा है और इसमें कितना बर्फ़ीला पानी मौजूद है. और ये भी स्पष्ट नहीं है कि ये अचानक क्यों फट गया है.""

वहीं जोशीमठ के धसने का एक कारण इसकी भौगोलिक स्थिति भी है. दरअसल, जोशीमठ करीब 500 मीटर ऊंचे मलबों के पहाड़ पर बसा है। वो मलबे अतीत में हुए भूस्खलन के हैं। इस कारण जमीन हल्की है, उसमें कड़ापन नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि जमीन के खालीपन बहुत है जो वक्त-वक्त पर सिकुड़ते हैं और फिर दरारें उभरने लगती हैं। मौके पर जाकर अध्ययन करने वाली विशेषज्ञों और केंद्र सरकार की टीम ने अपनी प्राथमिक रिपोर्टों में यही कहा है। रिपोर्टों के मुताबिक, स्थानीय आबादी और पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी को भी जोशीमठ की धरती झेल नहीं पा रही है।

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