साल-2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) हुए थे, लेकिन स्पष्ट बहुमत किसी दल को नहीं मिल पाया। उन चुनावों में सपा (Samajwadi Party) 143 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, बसपा को 98 सीटें, बीजेपी (BJP) को 88 जबकि कांग्रेस (Congress) को 25 और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) को 14 सीटें हासिल हुई थीं। लिहाज़ा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लगाना पड़ा। लेकिन इसी बीच मायावती (Mayawati) ने बीजेपी से हाथ मिला लिया, और उन्हें RLD का भी समर्थन हासिल हो गया। इस तरह से बीएसपी और बीजेपी गठबंधन वाली सरकार चलने लगी। लेकिन इसी बीच प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से निर्दलीय विधायक राजा भैया (Raja Bhaiya) पर मायावती की तिरछी निगाहें पड़ीं। उन्होंने कुछ मामलों को लेकर रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया पर POTA यानि आतंकवाद निरोधक अधिनियम लगा दिया। इस तरह उन्हें जेल जाना पड़ा। दरअसल राजा भैया कुछ उनविधायकों में से थे, जिन्होंने मायावती सरकार बर्खास्त करने की मांग की थी।
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