मातृभाषा मां के दूध के समान, इसका विकल्प नहीं: बंदोपाध्याय

Patrika 2023-02-22

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बेंगलूरु. मातृभाषा मां के दूध के समान (mother tongue like mother's milk) होती है और मां के दूध की तरह इसका भी कोई विकल्प नहीं है। भाषा वरदान है क्योंकि यह किसी अन्य प्राणी के पास नहीं है। हिन्दी के प्रचार-प्रसार में हर राज्य का अपना योगदान और इतिहास रहा है। Hindi को रोजगार, शिक्षण व विज्ञान की भा

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