माताएं और भाषाएं अपने पुत्र-पुत्रियों से सम्मानित होती हैं : प्रो. द्विवेदी

Patrika 2023-02-24

Views 2

बेंगलूरु. माताएं और भाषाएं अपने पुत्र और पुत्रियों से सम्मानित होती हैं। हिन्दी (Hindi) और अन्य भारतीय भाषाएं केवल भाषाएं नहीं हैं। ये न्याय की भाषाएं हैं। अगर देश के गरीबों, मजदूरों, आम लोगों, किसानों को न्याय दिलाना है, तो उनसे उनकी भाषाओं में बात करनी पड़ेगी, उनकी भाषाओं

Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS