लय-ताल पर थिरके भोपालाइट्स

Patrika 2023-03-13

Views 1

आसमान से उतरती फागुनी शाम जब रंगों की पुरखुश सौगात समेट लाई तो मन का मौसम भी खिल उठा। रवीन्द्र भवन के खुले मंच पर 'होरी हो बजराज' ने ऐसा ही समा बाधा मुरली की तान उठी, दोलक, मृदंग और ढप पर ताल छिडी. होरी के गीत गूंजे और नृत्य की अलमस्ती मे हुरियारों के पांव थिरके। रंगपंचमी की

Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS