अक्सर राजनीतिक दबाव के आगे आपने अधिकारियों को झुककर फरमान मानते देखा होगा, फिर चाहे वो फरमान सही हो या गलत अगर किसी नेता या नेता के पीए का फोन सरकारी कर्मचारी के पास पहुंचा तो उस काम का होना लगभग तय माना जाता है, ये आम धारणा है, लेकिन ठीक इस धारणा को तोड़ते हुए एक सरकारी कर्मचारी ने अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देकर मंत्री, सांसद, विधायक और विपक्ष के नेताओं के दबाव को भी दरकिनार कर एक सही फैसला लिया। जानिए क्या है पूरा मामला