यदि कोई बुद्ध धर्म और संघ की निंदा करे तो क्या करे?
उस व्यक्ति से ना तो बैर न असंतोष और न चित्त में क्रोध करे। ऐसा करने से अपनी ही हानि होती है। बल्कि सच्चाई का पता लगाना चाहिए कि जो कुछ कहा जा रहा है वह ठीक है या नहीं। ऐसे ही यदि कोई व्यक्ति बुद्ध धर्म और संघ की प्रशंसा करे तो उससे न तो आनंदित, न प्रसन्न और न हर्षोत्फुल्ल होना चाहिए। (ब्रह्मजाल सुत्त)
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