एक बार एक गांव में एक साधु रहता था। वह सारा दिन राम-राम जपता रहता है और ढोलकी बजाकर कीर्तन करता रहता। उसकी कुटिया के पास जिस व्यक्ति का घर था, वह उससे बहुत परेशान था। एक दिन वह व्यक्ति गुस्से में उस साधु की कुटिया में चला गया और कहने लगा कि तुम क्या दिन

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एक बार एक गांव में एक साधु रहता था। वह सारा दिन राम-राम जपता रहता है और ढोलकी बजाकर कीर्तन करता रहता। उसकी कुटिया के पास जिस व्यक्ति का घर था, वह उससे बहुत परेशान था। एक दिन वह व्यक्ति गुस्से में उस साधु की कुटिया में चला गया और कहने लगा कि तुम क्या दिन-रात राम- राम रटते रहते हो?
तुम्हें तो कोई काम धंधा नहीं है ? लेकिन हमें तो कमाने जाना पड़ता है। तुम्हारी ढोलकी की आवाज से मैं सो नहीं पाता। साधु कहने लगा, "तुम भी मेरे साथ राम राम जप के देखो तब तुम्हें पता चलेगा कितना आनंद आता है।"
वह व्यक्ति ने थोड़ा खींझकर कहा ,"अगर मैं तुम्हारे साथ राम-राम जपता हूं  तो क्या तुम्हारा राम मुझे खाने के लिए रोटी देगा ? साधु ने कहा- मुझे तो राम नाम की लगन लगी है मुझे तो राम जी की कृपा से हर रोज भोजन मिल ही जाता है।

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