वीडियो जानकारी: 27.12.2023, वेदान्त संहिता, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ कचरा जितना बढ़ता है, उतना ही वो आग को आमंत्रण देता है।
~ हमारे जीवन में भी व्यर्थता जितनी बढ़ती है, उतना ही हम आतुर होते हैं ज्ञान को बढ़ाने के लिए।
~ दर्द जितना बढ़ेगा, इलाज की माँग भी उतनी ही बढ़ेगी।
~ ज्ञान जब भी आएगा, दुनिया उसका विरोध ही करेगी।
~ ज्ञानी जब भी आएगा, दुनिया उसको यातनाएँ ही देगी।
~ ज्ञानी का फ़र्ज़ होता है कि अपमान को ही अनुग्रह जाने, पीड़ा को ही प्रेम जाने।
संगीत: मिलिंद दाते
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