तुझे हुस्न मुबारक हो, तुझे हुस्न मुबारक हो।
गैरों के साथ जिंदगी के, ये जश्न मुबारक हो।।
चमकेगा ये हुस्न तेरा, जब तक ये जवानी है,
रहेगा ना कुछ भी यहां, सब कुछ फानी है।
गुमनामियों के घेरे, शोहरत ये मुबारक हो,
तुझे हुस्न मुबारक हो, तुझे हुस्न मुबारक हो।।
दौलत की तिजारत में, तुम रूप के सौदाई
होती है इस जहां में, गुरबत की ही रुसवाई।
व्यापार की मंडी की, दौलत ये मुबारक हो,
तुझे हुस्न मुबारक हो, तुझे हुस्न मुबारक हो।।
ये रात सुहानी है, ये चढ़ती जवानी है,
बहके कदम सबके, मौसम पे रवानी है।
बाहों में थामने को, हर हाथ मुबारक हो,
तुझे हुस्न मुबारक हो, तुझे हुस्न मुबारक हो।
#Lyrics_Amit_Alok