शहर में गर्मियों की छुट्टियों में अक्सर बच्चे दादा-दादी-नाना नानी के घर जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चे ऐसे हैं, जो यहीं रहकर बाल संस्कार शिविरों में संस्कारित व आत्मनिर्भर बनना सीख रहे हैं। वे यहां घरेलू कार्य और अध्यात्म से जुड़ना सीख रहे हैं। केन्द्रों पर बच्चों को ध्यान, योग, व्यायाम तो कराया ही जा रहा है। साथ ही, उन्हें ईश्वर के प्रति आस्था, पूजा-पाठ, दंडवत प्रणाम करना, पारपरिक पहनावा, पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्य भी सिखाए जा रहे हैं। घरेलू कार्य में बच्चों को बर्तन स्वयं धोने जैसे कार्य भी सिखाए जा रहे हैं।