त्रेता युग के भगवान राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुध्न का जीवन एक आदर्श है। भाइयों की बात होने पर आज भी राम-लक्ष्मण की जोड़ी का ही उदाहरण सबसे पहले सामने आता है। कलयुग के भौतिकवादी युग में कई भाइयों के स्नेह की डोर ऐसी है, जो राम-लक्ष्मण की याद दिला देती है। उन भाइयों के दिन की शुरुआत साथ में नाश्ता करने से होती है तो सांझ साथ में भोजन करने के साथ। छोटा भाई अपने बड़े भाई को पिता तो बड़ा छोटे को पुत्र मानता है। ऐसे ही कुछ भाइयों की कहानी से आज हम आपको रूबरू करवा रहे है। जिनका प्यार एक मिसाल है।