होरी खेलत संत सुजान सखी होरी खेलत.....
छिन - छिन पल- पल होरी खेलत
निस-दिन आठोयाम सखी
होरी खेलत....
योगी खेले योग युक्ति से
अभिमानी अभिमान से सखी
होरी खेलत....
कामी खेले कामिनी के संग
लोभी खेले दाम से सखी
होरी खेलत....
कोटिन माही बचे कोई बिरला
कहे कबीर घट ज्ञान से सखी
होरी खेलत....