हजारों घडियालों का हुआ है जन्म करौली/करणपुर. चंबल नदी कि किनारों पर करीब पांच माह पहले मदा घडियाल द्वारा दिए अंडो से अब घडियाल शिशुओं का निकलना शुरू हो गया है। इस बार चंबल नदी के किनारों पर मिट्टी में मादा घडियाल ने बड़ी संख्या में अंडे दिए थे, जो कि अब परिपक्व हो चुके हैं और उनसे घडियालों का निकलना शुरू हो गया है। अंडो से निकलकर घडियाल रेंगते हुए चंबल नदी के पानी में प्रवेश कर रहे हैं। जिससे नदी के किनारों पर काफी संख्या में रोजाना घडियाल तैरते नजर आते हैं। चम्बल नदी के रामेश्वर घाट (रेंज पाली घाट घडिय़ाल प्रतिबंधित क्षेत्र) में काफी घडियालों का प्रजनन हुआ है। शाकाहारी जीवों में है शामिल घडियालों की गिनती शाकाहारी जीवों में की जाती है। यह अपनी विशेष आवाज के माध्यम से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। मण्डरायल क्षेत्रीय वनाधिकारी टिंकू भानू व रामेश्वर (रेंज पाली चम्बल घाट - सवाईमाधोपुर) के फोरेस्टर गणपत चौधरी ने बताया कि घडियालों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं। आधा दर्जन घाटों पर है डेरा चंबल नदी में यूं तो मगरम'छ काफी संख्या में पाए जाते हैं, लेकिन घडियालों की संख्या भी कम नहीं है। चंबल नदी की घडियालों के संरक्षण व उद्भव के लिए अपनी पहचान है। सरकार ने इसे घडिय़ाल प्रतिबंधित क्षेत्र भी घोषित किया हुआ है। रामेश्वर चम्बल घाट, महाराजपुरा चम्बल नदी दिव्य घाट, कसेड घडिय़ाल क्षेत्र, चम्बल कैमक'छ घाट, पांचौली-राचौली घाट पर हजारों घडियालों का डेरा है। चम्बल नदी के इन घडिय़ाल क्षेत्रों में घडिय़ाल शिशु जलीय गोंदर घास के सहारे तैरते रहते हैं तथा मादा घडिय़ाल जलीय घास के माध्यम से घडिय़ाल शिशुओं का पालन पोषण करती हैं। दिसम्बर में होता प्रजनन, जून में अंडो से आते बाहर दिसम्बर माह में मादा घडियाल चंबल नदी के किनारो की रेत में अंडे देती है। करीब पांच माह बाद जून के महिने के मध्य तक अंडे परिपक्व हो जाते हैं और मानसून के आसपास अंडो से घडियालों का निकलना शुरू हो जाता है। अंडो से घडियालों का निकलते देखने के लिए लोग वहां पहुंचते हैं। नवजात घडियालों को तेज बहाव में रहता खतरा कई बार घडिय़ाल शिशुओं के जन्म के दौरान ही मानसून सक्रिय हो जाने से उनकी जान को खतरा रहता है। क्योंकि नदी में पानी का तेज बहाव शुरू हो जाता है। घडिय़ाल शिशु बहाव में बहकर धौलपुर (राजस्थान) के चम्बल नदी सीमा क्षेत्र पार कर इटावा (मध्यप्रदेश) से निकल कर बंगाल की खाड़ी के खारे पानी में पहुंच जाते हैं। वहां ये जीवित नहीं रह पाते। हालाकि अंडो से निकले शिशु घडियाल बरसात आने तक अ'छी प्रकार विकसित हो जाएंगे। जिससे वे नदी के तेज बहाव में नहीं बह पाएंगे। केप्शन. करणपुर. चंबल नदी के किनारे अंडों से निकलते घडियाल।