प्रेम ही वैराग्य है || आचार्य प्रशांत, कबीर साहब पर (2024)

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#acharyaprashant

वीडियो जानकारी: 27.04.24, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ जो बिछड़े हैं प्यारे से, भटकते दर-बदर फिरते का क्या आशय हैं?
~ गुरु कबीर के लिए प्रेम का क्या अर्थ है?
~ हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या?
~ जन्म से मृत्यु तक जीवन क्या है?
~ प्रेम में ईमानदारी कहाँ से लाएं?

संगीत: मिलिंद दाते
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हमन है इश्क मस्ताना,
हमन को होशियारी क्या?

रहें आजाद या जग से,
हमन दुनिया से यारी क्या?

जो बिछुड़े हैं पियारे से,
भटकते दर-ब-दर फिरते,

हमन है इश्क मस्ताना,
हमन को होशियारी क्या?

हमारा यार है हम में
हमन को इंतजारी क्या?

न पल बिछुड़े पिया हमसे
न हम बिछड़े पियारे से,

हमन है इश्क मस्ताना,
हमन को होशियारी क्या?

उन्हीं से नेह लागी है,
हमन को बेकरारी क्या?

कबीरा इश्क का माता,
दुई को दूर कर दिल से,

जो चलना राह नाज़ुक है,
हमन सिर बोझ भारी क्या?

हमन है इश्क मस्ताना,
हमन को होशियारी क्या?


संगीत: मिलिंद दाते
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