मृत्यु के बाद किए जाने वाले क्रिया-कर्म से मृत व्यक्ति को कोई लाभ नहीं होता। वह क्रिया करने वालो और समाज के मन को सिर्फ संतोष देता है । क्रिया ना करने पर हमें कोई दोष नहीं लगता लेकिन लौकिक व्यवहार पूरा करना अनिवार्य है। मृत व्यक्ति के लिए प्रार्थना करने पर उसके आत्मा को शांति प्राप्त होती है।