सीएम ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में खुद को न बोलने देने का आरोप लगाकर बैठक का बहिष्कार कर दिया। विपक्ष की ओर से इस बैठक में शामिल होने वाली वो एकमात्र मुख्यमंत्री थीं। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने बैठक को लेकर किए गए दावों और आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि बैठक से 10 अनुपस्थित और 26 प्रतिभागी थे। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुडुचेरी के सीएम अनुपस्थित थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री मौजूद थीं। मुख्यमंत्री ने लंच से पहले बारी देने का अनुरोध किया था। यह उनकी ओर से एक बहुत ही स्पष्ट अनुरोध था क्योंकि आम तौर पर हम वर्णानुक्रम के हिसाब से बोलने का मौका देते हैं। यह आंध्र प्रदेश से शुरू होता है, फिर अरुणाचल प्रदेश, हमने वास्तव में समायोजन किया और रक्षा मंत्री ने वास्तव में गुजरात से ठीक पहले उन्हें बुलाया। तो उन्होंने अपना वक्तव्य दिया। प्रत्येक मुख्यमंत्री को सात मिनट आवंटित किए जाते हैं और स्क्रीन के ऊपर एक घड़ी होती है जो आपको शेष समय बताती है। यह सात से छह, पांच, चार और तीन तक जाता और अंत में शून्य दिखाता है। इसके अलावा और कुछ नहीं हुआ...फिर उन्होंने कहा कि देखिए, मैं और समय बोलना चाहती थी, लेकिन मैं अब और नहीं बोलूंगी, बस इतना ही था। इसके अलावा और कुछ नहीं था, हम सबने सुना। उन्होंने अपनी बात रखी और हमने सम्मानपूर्वक उनकी बातें सुनीं और नोट की।
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