Indira Ekadashi Vrat Katha| इन्दिरा एकादशी कथा पद्मपुराण से। Pitra Ekadashi| #puranikyatra #ekadashi
इंदिरा एकादशी व्रत कथा के मुताबिक, सतयुग में इंद्रसेन नाम का एक राजा था जो महिष्मती नगरी में राज करता था. वह भगवान श्रीहरि विष्णु का परम भक्त था. एक दिन नारद मुनि, राजा इंद्रसेन की सभा में उनके मृत पिता का संदेश लेकर पहुंचे. नारद जी ने राजा इंद्रसेन को बताया कि उनके पिता को यमलोक में रहना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग कर दिया था. नारद जी ने राजा इंद्रसेन से कहा कि अगर वे आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें, तो उनके पिता को मुक्ति मिल जाएगी. राजा इंद्रसेन ने व्रत का संकल्प लिया और पितृ पक्ष की एकादशी पर विधि-विधान से व्रत रखा. इस व्रत के कारण उनके पिता को यमलोक से मुक्ति मिली और वे बैकुंठ लोक में चले गए. उस दिन से ही इस व्रत का नाम इंदिरा एकादशी पड़ गया.