लिविंग इन द मोमेन्ट (Living in the moment) - एक खतरनाक झूठ || आचार्य प्रशांत (2024)

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वीडियो जानकारी: 24.09.24, गीता समागम, ऋषिकेश

प्रसंग:
~ "लिविंग इन द मोमेन्ट" क्या है?
~ क्यों हम लगातार भविष्य-उन्मुख रहते हैं?
~ हम किसके लिए भविष्य के सपने बुन रहे हैं?
~ मृत्यु प्रतिपल हो रही है।
~ क्या भविष्य है?
~ बस कौनसी कामना सार्थक है?

नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयी।
कैवल्यमिव संप्राप्तो न स्मरत्यकृतं कृतम् ॥
अष्टावक्र गीता - 11.6

अनुवाद: मैं यह शरीर नहीं हूँ और न ही यह शरीर मेरा है, मैं बोधस्वरूप हूँ, जो ऐसा जान रहा होता है,
वह कैवल्य (मुक्ति) को प्राप्त होता है। वह फिर इस बात को याद नहीं रखता कि उसने क्या किया और क्या नहीं किया।

Memory deceives with false continuity.


संगीत: मिलिंद दाते
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