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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 14.09.2019, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, भारत
प्रसंग:
~ धर्मों ने स्त्रियों को नीचा क्यों समझा?
~ क्या बुद्ध स्त्रियों को नीचा समझते थे?
~ क्या संतों ने स्त्रियों को नीचा कहा?
~ पुराने समय में अर्थव्यवस्था में महिलाओं का कितना योगदान था?
~ महिलाएं देहभावना में क्यों ज़्यादा जीती हैं?
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्यु पापयोनयः ।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम् ॥
हे अर्जुन! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयोनि चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरे शरण होकर परमगति को ही प्राप्त होते हैं।
~ श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय ९, श्लोक ३२)
संगीत: मिलिंद दाते
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