चेन्नई. श्रीलंकाई नौसेना ने 'अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा' (आईएमबीएल) पार करने के आरोप में तमिलनाडु के 12 मछुआरों को परुथुरै के पास गिरफ्तार कर लिया। तमिलनाडु के तटीय पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उनको मंगलवार सुबह गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के सार्वजनिक बयान के कुछ समय बाद हुई है। दिसानायके ने भारतीय मछुआरों द्वारा कथित तौर पर द्वीप राष्ट्र के जलक्षेत्र में अवैध रूप से मछली पकडकऱ श्रीलंका के समुद्री संसाधनों को नष्ट करने के बारे में चिंता व्यक्त की थी। राष्ट्रपति ने इस तरह की घुसपैठ के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है। इससे दो दिन पहले श्रीलंकाई नौसेना ने रामेश्वरम से 23 तमिल मछुआरों को हिरासत में लिया था और तीन मोटर नावें जब्त कर ली थी। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इससे पहले 23 अक्टूबर को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तमिल मछुआरों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की थी। सीएम स्टालिन के मुताबिक 128 तमिल मछुआरे वर्तमान में श्रीलंका में न्यायिक हिरासत में हैं और 199 मछली पकडऩे वाली मोटर नावों को जब्त कर लिया गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास ने भी किया था विदेशमंत्री से आग्रह
पाटाली मक्कल कच्ची (पीएमके) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास ने भी केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिल मछुआरों की लगातार बीच समुद्र में की जा रही गिरफ्तारियों पर ध्यान देने की अपील की। हाल ही श्रीलंका की यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंकाई सरकार के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की और आगे की गिरफ्तारियों और नावों की जब्ती को रोकने के उपायों की वकालत की थी।
मछुआरों ने किया प्रदर्शन, बोले आजीविका पर संकट
इन बार-बार की गिरफ्तारियों के जवाब में तमिलनाडु भर में मछुआरा संघ के नेता बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीलंकाई नौसेना द्वारा पकड़े गए मछुआरों की रिहाई के लिए कार्रवाई नहीं करने पर रामेश्वरम के मछुआरों ने पंबन ब्रिज के पास प्रदर्शन किया। इस बीच पुलिस और मछुआरों के बीच नोकझोंक भी हुई। तमिलनाडु मीनावर पेरवै के महासचिव तजुधिन ने कहा तटीय जिलों में मछुआरा संघ इन लगातार गिरफ्तारियों के खिलाफ एकजुट रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हमारे मछुआरों की आजीविका खतरे में है। मछली पकडऩे और उससे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर रहने वाले हजारों लोग गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। मछुआरों और उनके परिजनों में समुद्र में जाने को लेकर डर की भावना घर कर गई है।'