भगवद गीता अध्याय १३ | Bhagavad Gita Chapter 13 With Lyrics | Bhagavad Gita In Hindi | Rajshri Soul

RajshriSoul 2024-11-22

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Dive into the depths of spiritual wisdom with Bhagavad Gita Adhyay 13 on our channel! Discover the soul's journey and the path to enlightenment. Watch now!

हमारे चैनल पर भगवद गीता अध्याय 13 के साथ आध्यात्मिक ज्ञान की गहराई में उतरें! आत्मा की यात्रा और आत्मज्ञान का मार्ग खोजें।

Bhagavad Gita Adhyay 13 is known as the Kshetra Kshetrajna Vibhaga Yoga, which means the "Yoga of the Field and the Knower of the Field." In this chapter, Lord Krishna explains the distinction between the physical body (Kshetra) and the eternal soul (Kshetrajna), and how understanding this difference leads to spiritual wisdom.

This chapter emphasizes the importance of discerning between the transient material world and the eternal spiritual essence. It also discusses the qualities of a wise person who has realized the true nature of the self and attained liberation from the cycle of birth and death.

भगवद गीता के अध्याय १३ को क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है "क्षेत्र का योग और क्षेत्र का ज्ञाता।" इस अध्याय में, भगवान कृष्ण भौतिक शरीर (क्षेत्र) और शाश्वत आत्मा (क्षेत्रज्ञ) के बीच अंतर बताते हैं, और इस अंतर को समझने से आध्यात्मिक ज्ञान कैसे प्राप्त होता है यह भी उन्होंने इसमें बताया है।

यह अध्याय क्षणभंगुर भौतिक संसार और शाश्वत आध्यात्मिक सार के बीच अंतर करने के महत्व पर जोर देता है। इसमें एक बुद्धिमान व्यक्ति के गुणों की भी चर्चा की गई है जिसने स्वयं की वास्तविक प्रकृति को महसूस किया है और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त की है।

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