दो कैदी अगर साथ रहते हों, तो उसे प्यार नहीं कहते आचार्य प्रशांत, गीता दीपोत्सव (2024)

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वीडियो जानकारी: 27.10.24, गीता दीपोत्सव, ग्रेटर नॉएडा

दो कैदी अगर साथ रहते हों, तो उसे प्यार नहीं कहते || आचार्य प्रशांत, गीता दीपोत्सव (2024)

📋Video Chapters:

0:00 - Intro
2:50 - Patriarchy और उसके प्रभाव
3:56 - देह भाव का महत्व
8:34 - स्त्री-पुरुष संबंध और Patriarchy
11:15 - Patriarchy का सामाजिक प्रभाव
17:30 - देह के माध्यम से पहचान
23:31 - चेतना और देह का संबंध
29:50 - क्या हम वास्तव में समानता चाहते हैं?
35:10 - आध्यात्मिकता की आवश्यकता
37:49 - Zen बोध कथा
44:16 - स्वार्थ और बंधन: परिवार का प्रभाव

विवरण:

इस वीडियो में आचार्य जी patriarchy के बंधनों और महिलाओं की freedom पर चर्चा करते हैं। प्रश्नकर्ता
अपने मन में बसी beliefs और social norms के कारण खुद को restricted महसूस करती हैं।

आचार्य जी समझाते हैं कि society में female और male identity अक्सर physical attributes के आधार पर बनाई जाती है, जिससे महिलाओं के अस्तित्व को उनके शरीर तक सीमित कर दिया जाता है। वे कहते हैं कि यदि महिलाएँ identity को consciousness से जोड़ें और body को सिर्फ एक tool समझें, तो वे इन societal limitations से free हो सकती हैं।

यह संवाद महिलाओं के self-respect, independence, और outdated societal mindsets सोच से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है। इसे देखने से आप अपने जीवन को fresh perspective से देखना शुरू करेंगे।

🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06

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