चेन्नई. तमिलनाडु वन विभाग ने कोयंबटूर जिले के वलपराई में जंगल के पास रहने वाले लोगों से रात में बाहर न निकलने की अपील की है। बीते कुछ महीनों में जंगली हाथियों के मानव बस्तियों में घुसने और उत्पात मचाने वाली घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। वन अधिकारी इस क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं, क्योंकि 17 सदस्यीय झुंड से अलग हुए तीन हाथियों ने सोमवार को वलपराई में मानव बस्तियों पर हमला कर कई लोगों को घायल कर दिया था। हमलों में चार लोगों के हाथ और पैर फ्रैक्चर हो गए और उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह घटना कुछ महीने पहले 18 वर्षीय एस. मुकेश की मौत के बाद हुई। वलपराई के पास पुथुकड़ के निवासी मुकेश पर शोलायर बांध की ओर जाते समय एक जंगली हाथी ने जानलेवा हमला किया था। वलपराई जनरल अस्पताल उसे ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका था। मुकेश की मौत वलपराई के पास अन्नामलाई टाइगर रिजर्व (एटीआर) में एक जंगली हाथी द्वारा एक आदिवासी व्यक्ति रवि को कुचलकर मार डालने के कुछ ही दिनों बाद हुई थी। पिछले एक साल में, वलपराई क्षेत्र में जंगली हाथियों द्वारा घरों और दुकानों सहित संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कई घटनाएं हुई हैं।
वन अधिकारी इन हमलों का प्रमुख कारण प्राकृतिक आवास का सिकुड़ना है। जंगल सिमट रहे हैं और इंसान वहां पहुंचने लगे हैं। मानव प्रजाति को देखकर हाथी बौखला जाते हैं जिसके कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि हुई है।
जैसे-जैसे हाथियों का वार्षिक प्रवास मौसम वलपराई पठार में अपने चरम पर पहुंचता है, तमिलनाडु वन विभाग, गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय निवासियों के सहयोग से, हाथियों की मुक्त आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए काम करने लगता है।
हालांकि, अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अपने झुंड से भटके हुए हाथी अक्सर आक्रामक हो जाते हैं, जिससे मानव जीवन और संपत्ति को काफी खतरा होता है।