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वीडियो जानकारी: गीता समागम, 15/11/2023, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ कामना क्या है? कामना की जिद्द क्या है ?
~ हठ क्या है?
~ मैं अधूरा क्यूँ हूँ?
~ मेरा उद्देश्य क्या है?
~ कौन है जो अधूरापन पूरा कर सकता है?
जगत तरैया भोर की, सहजो ठहरत नाहि। जैसे मोती ओस की, पानी अंजुली माहि ।।
~संत सहजोबाई
कबीरा खड़ा बाजार में, माँगे सब की खैर । न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर ।।
~ संत कबीर
आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा । कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च ॥
~ भगवद् गीता - 3.39
आग दहके पर धुएँ से प्रकाश ढक सा जाता है काम भरा जब आँख में, सच नज़र नहीं आता है
(आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ)
~ भगवद गीता - 3.38
सुमिरन सुरति लगाय के, मुख से कळू न बोल। बाहर के पट बंद कर, भीतर के पट खोल ।।
~ संत कबीर
संगीत: मिलिंद दाते
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