तिरुपुर. केंद्र सरकार द्वारा किराए की दुकानों पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की घोषणा के बाद बुधवार को तिरुपुर में लगभग 1 लाख दुकानें बंद रहीं, जिससे 100 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ। 23 सितम्बर को जीएसटी परिषद की बैठक में लिए गए इस निर्णय का व्यापारियों के संगठनों और विभिन्न दलों ने कड़ा विरोध किया है, जिनका दावा है कि यह छोटे व्यापारियों पर हमला है। आलोचकों का तर्क है कि इस कदम से छोटे व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट और बढ़ जाएगा। छोटे व्यापारी पहले से ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
छोटे व्यापारियों ने निंदा की
कॉर्पोरेट टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने और छोटे व्यापारियों द्वारा संचालित दुकानों के किराए पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने के निर्णय की छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों ने निंदा की। तिरुपुर के व्यापारियों ने 100 करोड़ रुपए के जीएसटी कर का उदाहरण देते हुए इस कर के असंगत प्रभाव को उजागर किया है। 20,000 दुकानों का किराया, जिसके लिए 3,200 रुपए जीएसटी भुगतान की अतिरिक्त आवश्यकता होगी। एक व्यापारी ने कहा कि तमिलनाडु में 42 लाख दुकानें किराए के परिसर में चल रही हैं, जिनमें से अधिकांश का कारोबार 1.5 करोड़ रुपए से कम है, ऐसे में दुकानों के किराए पर जीएसटी वसूलना उचित नहीं है, क्योंकि इससे उन पर बुरा असर पड़ेगा।
पहले भी हो चुके हैं प्रदर्शन
अंतरराष्ट्रीय युद्ध और कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण तिरुपुर में निटवियर उद्योग पहले से ही गिरावट में है। चेन्नई के वल्लुवरकोट्टम में हाल ही में व्यापारियों के संघ द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन, छोटे व्यापारियों और उद्यमियों के बीच बढ़ते असंतोष को दर्शाते हैं। विरोध प्रदर्शन में एक हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया, जीएसटी की निंदा की और इसके खिलाफ नारे लगाए। राजनीतिक नेताओं ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे छोटे व्यापारियों की स्थिति और खराब होने का खतरा है। एक व्यापारी ने कहा कि केंद्र सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए, लेकिन इसके बजाय उसने कर बढ़ा दिया है।