Patriarchy (पितृसत्ता) कैसे बनती है इंसान की मानसिकता? || आचार्य प्रशांत (2024)

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वीडियो जानकारी: 27.10.24, गीता दीपोत्सव, ग्रेटर नॉएडा

विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने आधुनिक महिलाओं की सोच और पारंपरिक भूमिकाओं के बीच के विरोधाभास पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि आज की शिक्षित और आधुनिक महिलाएं पारंपरिक housewife की भूमिका को अपनाने की इच्छा रखती हैं, जबकि वे खुद को प्रगतिशील मानती हैं। आचार्य जी ने यह भी कहा कि जब तक महिलाएं अपनी देह को पहचानती हैं और उसके साथ स्वार्थ जोड़ती हैं, तब तक वे Patriarchy के बंधनों में बंधी रहेंगी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि असली मुक्ति केवल आत्मज्ञान और चेतना के माध्यम से ही संभव है, न कि feminism या अन्य विचारधाराओं के माध्यम से।

आचार्य जी ने यह भी बताया कि महिलाओं को अपने शरीर को एक संसाधन के रूप में देखना चाहिए, न कि एक संपत्ति या हथियार के रूप में। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए उन्हें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना होगा और अपने बंधनों को तोड़ना होगा।

प्रसंग:
~आज की शिक्षित और आधुनिक महिलाएं पारंपरिक हाउसवाइफ की भूमिका को क्यों अपनाना चाहती हैं?
~पितृसत्ता के बंधनों को तोड़ने के लिए महिलाओं को क्या सलाह दी है?
~असली मुक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है?
~महिलाओं को अपने शरीर को किस रूप में देखना चाहिए, और इसके पीछे का तर्क क्या है?
~समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए?
~क्या फेमिनिज्म और अन्य विचारधाराएं सच्ची मुक्ति का मार्ग नहीं हैं?

संगीत: मिलिंद दाते
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#acharyaprashant

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