swm news...उड़ती धूल बढ़ा रही ‘अस्थमा’, रोज आ रहे 50 से अधिक मरीज

Patrika 2025-05-06

Views 9

सवाईमाधोपुर.कहने को तो आज अस्थमा दिवस है मगर जिले में उड़ती धूल अस्थमा के रोगियों को बढ़ा रही है। सामान्य चिकित्सालय में प्रतिदिन करीब पचास से अधिक रोगी अस्थमा व श्वांस के पहुंच रहे है। अस्पताल की ओपीडी में पहुंचने वाले रोगियों में करीब 70 प्रतिशत लोग श्वांस में तकलीफ के पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार जिले में अस्थमा का एक मुख्य कारण धूल (डस्ट) है। सामान्य चिकित्सालय में इन दिनों करीब 25 मरीज अस्थमा एवं 25 मरीज ही श्वांस रोग से पीडि़त आ रहे है।
यह है कारण
धूल, पराग, जानवरों के फर, वायरस, हवा के प्रदूषक और कई बार भावनात्मक गुस्सा भी अस्थमा अटैक का कारण बनता है। वंशानुगत, श्वांस नलियों में सूजन आदि से श्वांस लेने में दिक्कत होती है। चिकित्सकों के अनुसार जिले में खेतों में कृषि कार्य करने वाले किसानों, धूल, प्रदूषण के कारण अस्थमा रोग हो रहा है।
यह है शारीरिक लक्षण
छाती में जकडऩ, श्वांस लेने में तकलीफ, खांसी, मौसम में बदलाव पर खांसी या श्वांस की तकलीफ बढऩा, खेलने या व्यायाम के दौरान श्वांस ज्यादा फूलने लगता है। अस्थमा की समस्या में फैफड़ों से हवा को अंदर और बाहर ले जाने वाली नलिकाएं प्रभावित हो जाती हैं। वायुमार्ग में सूजन और संकुचन के कारण दर्द होने व सांस छोड़ते समय आवाज आने जैसी समस्या होती है।
यह है उपाय
चिकित्सक बताते हैं कि वर्तमान में इनहेलेशन थैरेपी अस्थमा के इलाज का मुख्य आधार है। इस थैरेपी के साइड इफेक्ट बहुत कम है। नियमित दवाएं व समय-समय पर चिकित्सक को चैकअप कराकर पीडि़त व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।
उड़ती धूल से रहती है अस्थमा की आशंका
वाहनों से उडऩे वाली मिट्टी जो बहुत ही बारीक होती है। यह मिट्टी हवा के साथ घरों में जम जाती है। घरों में सफाई करने के दौरान उड़ती रहती है। इससे अस्थमा होने की आशंका रहती है। अस्थमा एक दीर्घकालिक श्वांस से जुड़ी बीमारी है। फैफड़ों की श्वांस की नलियों में सूजन आ जाती है। इससे श्वांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और फैफड़े अति संवेदनशील हो जाते हैं। किसी भी तरह की एलर्जी अस्थमा अटैक में ट्रिगर का काम करती है।

एक्सपर्ट व्यू...
धूलभरी हवा से सावधानी जरूरी है...
आंखों में खुजली, लंबे समय तक खांसी और सीटी बजना, श्वांस लेने में सारंगी बजने जैसी आवाज आना चिंंता का विषय है। यह सब अस्थमा की निशानी है। ऐसे मरीज शीघ्र चिकित्सक की सलाह लें। धूलभरी आंधियां भी अस्थमा को जन्म देती है। वहीं गर्मियों में हवा काफी गर्म हो जाती है, जिसकी वजह से श्वांस प्रणाली में दिक्कत हो सकती है। इससे अस्थमा के मरीजों को ज्यादा परेशानी हो सकती है। इसलिए कोशिश करें कि जब गर्मी ज्यादा होती है, जैसे सुबह 11 बजे के बाद से लेकर 5 बजे से पहले तक के समय में कोशिश करें कि बाहर कम निकलें। इसके लिए बचाव एवं इलाज में सांस में खींचने वाली दवाई (इन्हेलेशन थेरेपी) ही सबसे कारगर काम करती है। इनका प्रतिकूल प्रभाव बहुत कम है। इसके लिए लोगो को जागरूक किया जा रहा है।
डॉ. उमेश कुमार जाटव, विभागाध्यक्ष एवं श्वसन रोग विशेषज्ञ सवाईमाधोपुर


Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS