लखनऊ विरासतों का खजाना...फिल्म डायरेक्टर मुजफ्फर अली बोले- ओटीटी पर कंट्रोल नहीं, एक आजाद प्लेटफॉर्म

ETVBHARAT 2025-08-18

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लखनऊ : 'पहले की और आज की फिल्मों में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है. कभी फिल्मों को समाज का आईना कहा जाता था, लेकिन अब व्यावसायिक दबाव में वह संवेदनशील कहानियां परदे पर कम दिखाई देती हैं. फिल्म तब तक अमर नहीं होती जब तक वह समाज पर गहरा असर न छोड़े. 

यह बात मशहूर फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कही. मुजफ्फर अली ने अपनी चर्चित फिल्म उमराव जान का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक ऐसी लड़की की कहानी थी जिसमें दर्द, तहज़ीब, फन और संगीत सब कुछ था. इसीलिए यह फिल्म आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है. किसी के दादा ने इसे देखा था, आज उनकी पोतियां देख रही हैं और वही एहसास पा रही हैं. ऐसी कहानियां कभी पुरानी नहीं होतीं.   

ओटीटी पर उन्होंने कहा कि आज कंट्रोल की कमी है, गालियों का अत्यधिक इस्तेमाल होता है. ओटीटी प्लेटफार्म पर जो फिल्में आ रही हैं, उनमें सच्चाई और समाज से जुड़ी कहानियां बहुत कम दिखाई देती हैं. प्रोडक्शन की पूरी रणनीति बदल चुकी है. थिएटर से अब फिल्म सीधे फोन और टीवी तक जा रही है. 

उन्होंने कहा, लखनऊ विरासतों का खजाना है. कैसरबाग जैसे धरोहर स्थल को जब तक उसकी असली हालत में नहीं लाया जाएगा, तब तक पर्यटकों को उसका असली मज़ा नहीं मिलेगा. कत्थक, संगीत और लखनऊ की तहजीब हमारी असली पहचान है, इन्हें जिंदा रखना ज़रूरी है.  

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