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'ब्लैक एंड व्हाइट" जिंदगी में भर रहे रंग बसंत साहू, शरीर का 95 फीसदी हिस्सा पैरालाइज्ड

ETVBHARAT 2025-11-10

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व्हीलचेयर पर बैठे, हाथों में पट्टा बांधकर, पट्टे में ब्रश फंसाकर कल्पनाओं को उड़ान देते, छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले बंसत कुमार साहू. इन्होंने इन पेंटिंग में जितने रंग भरे हैं. इनकी जिंदगी उतनी ही ब्लैक एंड व्हाइट हैं. जब ये इलेक्ट्रिशियन थे, 1995 में एक सड़क हादसे में रीढ़ की हड्डी डैमेज हो गई. शरीर का 95 फीसदी हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया. उनके जीवन के सारे रंग बिखर गए. फिर बिस्तर पर लेटे-लेटे ही.  इन्होंने पेन और कॉपी पर अपनी कल्पना को उकेरना शुरू कर दिया. जो धीरे धीरे आकार लेने लगी.

इनकी कला में  संवेदनशीलता, भावना और गहराई का अद्भुत संगम दिखता है. लोक संस्कृति , प्रकृति और समाज के चित्र जीवंत हो उठते हैं. इनके बस्तर आर्ट को देश-विदेशों में खूब पसंद किया जाता है. कई जगहों पर इनकी पेंटिंग की एग्जिबिशन भी लग चुकी है. बसंत केवल इन चित्रों में ही रंग नहीं भर रहे. बल्कि बच्चों को भी कला के रंग सिखा रहे हैं. गर्मी की छुट्टियों में ये बच्चों को पेंटिंग बनाना सिखाते हैं.

संत साहू को राष्ट्रीय पुरस्कार "दिव्यांगजन सशक्तिकरण" से सम्मानित किया जाएगा. ये सम्मान 3 दिसंबर को नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर राष्ट्रपति देंगी.

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