मुक्कदस माह-ए-रमजान के बाद गोरखपुर शहर ईद के जश्न में डूबा है। इस चाहरदीवारी के बाहर दिख रहे ईदगाह के इस मैदान और दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद में ईद-उल-फित्र यानी ईद की मुबारक रात जश्न का आलम दिखेगा। ईदगाह के इसी मैदान से हिंदी साहित्य के महान कथाकार प्रेमचंद की स्मृतियां भी जुड़ी हैं। इसी ईदगाह के मैदान में लगने वाले मेले में प्रेमचंद को उनकी ईदगाह कहानी का किरदार ‘हामिद’ मिला था जो खिलौनों के बजाए अपनी दादी के लिए ईदी में मिले पैसे से लोहे का चिमटा खरीदता है।