हिन्दुस्तान शिखर समागम में अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने कहा कि वो पहले इतनी उग्र नहीं थी। फिर गोपी सर (पी गोपीचंद) ने उन्हें चिल्लाना सिखाया। उन्हें ये करने में दिक्कत होती थी। वहीं पूर्व ओलम्पिक खिलाड़ी व कोच पी गोपीचंद ने कहा कि देश की नई पीढ़ी में आत्मविश्वास है।
अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने कहा कि मुझे कोई नाराज़गी नहीं है देश के सिस्टम से। सिंधु ने कहा कि ये सब मेरा सपना था। मुझे लग रहा था कि ये मेडल मुझे चाहिए ही होगा। सिंधु ने कहा कि कोच सर का मोबाइल ले लेना, आइसक्रीम न खाने देना कोई बड़ी बात नहीं थी।
500-1000 के नोट पर सिंधु ने कहा कि सब कुछ मम्मी पापा करते हैं, मुझे कुछ करना नहीं पड़ता। वहीं गोपीचंद ने इस सवाल के जवाब में कहा कि ये एक साहसिक फैसला है।
अपने बारे में बताते हुए गोपीचंद ने कहा कि मैंने अपनी अकादमी शुरू करने के लिए अपना घर गिरवी रख दिया। गोपी ने आगे बताया कि किसी ने पैसा नहीं दिया। तीन दिन तक मुम्बई में एक ऑफिस के बहार बैठना पड़ा और मुझसे कहा गया कि बैडमिंटन ऐसा कोई अंतर्राष्ट्रीय गेम नहीं हैं। फिर हमने और मेरे घर वालों ने फैसला किया कि हम घर बेच देंगे। मुझे अपने परिवार पर गर्व है। गोपी ने बताया कि अब चीजें बदल रही हैं। अब सरकार बहुत कुछ कर रही है। गोपी ने आगे कहा कि हमें कोचिंग पर ध्यान देना चाहिए। वहीं सिंधु ने क्रिकेट पर बात करते हुए कहा कि धोनी और विराट उनके पसंदीदा हैं।
गोपी ने कहा कि सारी ज़िम्मेदारी सरकार की नहीं है। हमारे अभिभावक ध्यान दे कि जिस तरह पढ़ाई ज़रूरी है वैसे ही खेल भी। वहीं सिंधु ने बताया कि बैडमिंटन खेलना मेरा अपना मन था।