एक आम इंसान के गैंगस्टर बनने, उसके अन्य प्रतिस्पर्धियों से टकराव और मानवीय पक्ष को दिखाती कहानियां पहले भी परदे पर दिखाई जा चुकी हैं। गैंगस्टर व बाद में नेता बनने वाले अरुण गावली की कहानी पर आधारित फिल्म डैडी भी ऐसी ही कोशिश करती नजर आती है। जहां उम्दा सिनेमैटोग्राफी और विश्वसनीय एक्टिंग फिल्म के मजबूत पक्ष हैं, वहीं जबरन मुख्य किरदार को मसीहा बनाने की कोशिश इसे कमजोर बनाती है।
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