12 साल की उम्र में क्या कोई वैराग्य लेने की सोच सकता है. खेलने कूदने की उम्र में जिंदगी के सारे ऐशो आराम छोड़कर क्या कोई सन्यासी बन सकता है. असल में गुजरात के सूरत से एक ऐसी ही खबर आई है एक करोड़पति कारोबारी के बेटे ने महज 12 साल की उम्र में जैन दीक्षा ली है. शहजादे की तरह जिंदगी गुजराने वाले बाल मन में आखिर अध्यात्म की ऐसी अद्भुत अलख कैसे जगी.