भगवद गीता के इस वीडियो में देखिए की भगवान कृष्ण अर्जुन को आत्मा के अविनाशी व्यक्तित्व के बारे क्या बताते है
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१ अगले पदों में भगवान कृष्ण अर्जुन को आत्मा के अविनाशी व्यक्तित्व के बारे में बताते है, जो किसी भी संसारिक तत्व से कभी भी प्रभावित नहीं होती
२ तेइसवां और चौबीसवां श्लोक इस प्रकार है;
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।२३।।
अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च
नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ।।२४ ।।
३ इन श्लोकों का अर्थ है;
यह आत्मा न तो शस्त्र द्वारा काटी जा सकती है, न ही आग के द्वारा जलाई जा सकती है, न जल द्वारा भिगोई जा सकती है और न वायु द्वारा सुखाई जा सकती है
वास्तव में आत्मा को न तो तोडा़ जा सकता है, न ही जलाया जा सकता है, न इसे घुलाया जा सकता है और न ही सुखाया जा सकता है, यह आत्मा शाश्वत, सर्वव्यापी, अविकारी, स्थिर और सदैव एक सी ही रहने वाली है
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