दरारें पड़ी जमीन, सूखे नलके, हड्डियों का ढांचा बन चुके पशु और गिनकर घूंट पीते चेहरे. ये कहानी है मराठवाड़ा के पैथन की. पिछले कई सालों से सूखे से जूझ रहे इस तालुके में हर घर में पानी की अलग कहानी है. मिसाल के तौर पर 21 साल के अमजद पठान को वकालत की पढ़ाई छोड़कर गांव लौटना पड़ा ताकि वे बीमार मां और जर्जर पिता के लिए टैंकर से पानी 'लूट' सकें. पढ़िए, अमजद को.