क्या राजनीति का शिकार हो रही हैं Romila Thapar ? |वनइंडिया हिन्दी

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The decision of JNU administration to ask Romila Thapar to submit her curriculum vitae for assessment for her continuation as professor emerita. Various people including JNU Teachers' Association had said that it is politically motivated decision.

प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर को जेएनयू में पढ़ाते हुए उक़रीब 49 साल हो गए। रिटायरमेंट के बाद 1993 में उन्हें प्रोफ़ेसर इमेरिटस चुना गया था। अब JNU प्रशासन ने उनसे उनका बायोडेटा मांगा है। ताकि ये विचार किया जा सके कि JNU में उनकी सेवाएं प्रोफ़ेसर इमेरिटस के तौर पर जारी रखी जाएं या नहीं। जेएनयू के कुछ प्रोफेसर्स का कहना है कि ये पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित कदम है। वहीं इस पूरे विवाद के बीच रोमिला थापर ने सीवी देने से साफ इनकार कर दिया है।

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