मेहनत से ऐसे ढूंढ़ी मैनें अपनी मंज़िल | Rohim Momin

DainikBhaskar 2019-11-12

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जीवन में कठिनाइयां आती रहती हैं। पर जो लोग उन कठिनाइयों को पार कर अपनी मंज़िल ढूंढ लेते हैं वहीं विजेता कहलाते हैं। रोहिम मोमिन की कहानी भी कुछ ऐसी है।  

रोहिम 2017 में अबु धाबी में हुई वर्ल्ड स्किल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 59 देशों के प्रतियोगियों के बीच रोहिम ने 5वां स्थान हासिल किया।

पर यहां तक पंहुचने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।  

पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले रोहिम एक बेहद गरीब परिवार में पले-बढ़े। पिता की मौत के बाद रोहिम के कंधों पर परिवार की ज़िम्मेदारियां आ गई।  बेहतर मौक़ों की तलाश में अपने गांव से दिल्ली आ गए और राजधानी आकर निर्माण कार्य करने वाले श्रमिकों की जमात का हिस्सा बन गए।  

रोहिम अपने परिवार की माली हालत को बेहतर करना चाहते थे और अपनी तीन छोटी बहनों का भविष्य सुरक्षित करना चाहते थे। इस चाहत ने उनके अंदर प्रेरणा भरी और वह शारीरिक श्रम के अलावा दूसरे मौक़ों और कामों में भी हाथ आज़माने लगे। इस दौरान रोहिम ने तय किया कि वह व्यवस्थित प्रशिक्षण के माध्यम से अपनी क्षमताओं को विकसित करेंगे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। रोहिम ने अपनी इस चाहत को हक़ीकत में तब्दील कर दिखाया।

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