वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१० अप्रैल, २०१६
रमण महर्षि केंद्र
प्रसंग:
किसी का जज करना आवश्यक है या फिर पहले अपने अन्दर ध्यान से देखना चाहिए?
क्या किसी भी चीज पर सही या गलत कहने का हक़ रखना चाहिए?
आज कल तो बच्चो को सीखाया जाता है की तुम सिर्फ अपना देखो दुसरे के साथ क्या गलत हो रहा क्या सही इस पर मत ध्यान दो? क्या यह सही बताया जा रहा है?