चैत्र कृष्ण की दशमी के दिन महिलाएं दशा माता का व्रत करती है। दशा माता व्रत मुख्य रूप से घर की दिशा ठीक होने के लिए किया जाता है| माना जाता है जब मनुष्य की दिशा ठीक होती है| तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं| किंतु जब या प्रतिकूल होती है. तब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है| इन्हीं परिस्थितियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है। इसी के तहत दशामाता का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। परिवार को सुख समृद्धि देने वाली तथा कर्मों की दशा बदलने वाली मां दशा माता का पूजन श्रीराम जांनकी मंदिर एवं लाल माता मंदिर में स्थित पीपल वृक्ष पर विधि विधान पूर्वक पूजा करते हुए। महिलाओं ने पीपल के वृक्ष पर सूत का धागा लपेटकर परिक्रमा की। और पूजा में भाग लेकर मां दशा माता की कथा सुनी। वह अपने सुख सौभाग्य व परिवार की खुशहाली की कामना की।