कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते देश में 21 दिनों का लॉकडाउन (Lockdown) चल रहा है. इस बीच कोरोना (Corona) से युद्ध स्तर की लड़ाई लड़ रही केंद्र और राज्य सरकारों के लिए मजदूरों के पलायन का मामला मुसीबत बन गया है. यह मुद्दा 30 मार्च को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी उठा। मजदूरों के पलायन के मामले पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों का पलायन रोकना ही होगा. दिल्ली (Delhi) से पलायन कर रहे मजदूरों को पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि कोरोना के वायरस (Corona Virus) से ज्यादा खतरा लोगों में डर और अफरातफरी के माहौल का है। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से एफिडेविट दायर कर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है. कोर्ट ने कहा कि हम इस याचिका को विरोधात्मक नहीं मान रहे. लेकिन इस याचिका का इस तरह से प्रचार नहीं होना चाहिए कि कोर्ट पलायन को अनुमति देने के लिए कोई तरीका निकालेगा. पलायन को रोकना ही होगा. इसपर अगली सुनवाई मंगलवार को होगी. बता दें कि याचिका में पलायन कर रहे मजदूरों को भोजन और मेडिकल सुविधा मुहैया करवाए जाने की मांग की गई है. साथ ही सबको तुरंत सरकारी इमारतों में आश्रय देने की मांग भी याचिका में की गई है. आपको बता दें कि इन दिनों पूरे उत्तर भारत में सड़कों पर मजदूर नजर आ रहे हैं जो लॉकडाउन के चलते अपने घरों को निकल चुके हैं। मजदूरों के इस तरह से अपने गांव की ओर घबड़ाकर चलने का बढ़ा कारण यह भी बताया जा रहा कि वे इस बारे में आश्वस्त नहीं थे कि लॉकडाउन कब तक चलेगा। इस तरह की अफवाहें सोशल मीडिया से बहुत तेजी से फैलीं। इस बारे में अब केंद्रीय कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गॉबा ने साफ कर दिया है कि सरकार के पास 14 अप्रेल के बाद लॉक डाउन बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।