प्रदेश में कोरोना वायरस का दौर अपने पीक पर है। योगी सरकार ने लॉकडाउन लगा र खा है। पर इस लॉकडाउन में यूपी की चीनी मिलों ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया। प्रदेश के इतिहास में पहली बार 123 लाख कुंतल चीनी का उत्पादन कर एक नया कीर्तिमान बना दिया है। यह उत्पादन देश के कुल चीनी उत्पादन का 47 फीसद है। इससे पहले उत्तर प्रदेश में सत्र 2017-18 में चीनी का उत्पादन 120.45 लाख टन हुआ था। प्रदेश की 119 चीनी मिलों में 80 बंद हो चुकी हैं। और 39 चीनी मिलों में अभी भी जमकर पेराई चल रही है। उम्मीद की जा रही है कि अभी उत्पादन और बढ़ेगा। सूबे में गन्ना पेराई का सीजन अक्टूबर से शुरू होकर मई माह तक जारी रहता है।
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भारत के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। प्रदेश में 39 चीनी मिलें अभी भी पेराई कर रही हैं और मुंह को मिठास से भरने वाली चीनी का उत्पादन कर रही हैं। निजी चीनी मिलों का संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन यानी इस्मा के अनुसार उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 122.28 लाख टन हो चुका है यह अब तक का सबसे उंचा स्तर है। देशभर में इस साल चीनी का उत्पादन करीब 19 फीसदी घट गया है। चालू चीनी सत्र में 15 मई तक चीनी का उत्पादन 264.65 लाख टन हुआ है यह बीते सत्र के मुकाबले 61.54 लाख टन यानी 18.86 फीसदी कम है।
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गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा ने कहाकि कोरोनावायरस के बावजूद प्रदेश में चीनी उत्पादन का नया कीर्तिमान बनाया है। इस सत्र में प्रदेश में 119 चीनी मिलों ने पेराई की थी, जिसमें 80 अभी बंद हुई हैं। पर 39 मिलों में पेराई काम चल रहा है। चीनी मिलों ने 10,918 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की है। साथ किसानों को अभी 56 फ़ीसदी भुगतान किया जा चुका है। साथ ही
गन्ना मूल्य भुगतान में विलंब करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए हैं। गन्ना विभाग प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी ने बताया कि लॉकडाउन के बावजूद राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि किसानों के गए गन्नों की पेराई होती रहे।
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