लॉकडाउन के दौरान जयपुर समेत प्रदेश भर की पुलिस ने वाहनों की जब्ती कर तो ली लेकिन अब यह जब्ती पुलिस और कोर्ट्स के लिए भारी पडती जा रही है। पुलिस ने 17 हजार से भी ज्यादा वाहन जब्त करे हैं वाहनों को रीलिज करने वाली कोर्ट्स के कार्मिक अगर हर मिनट एक वाहन भी छोड़ते हैं तो सारे वाहन छोडने में डेढ़ महीने से भी ज्यादा का समय लग सकता है। हालात ये हो गए कि शुरुआती दो दिन के भीतर ही चार हजार से ज्यादा आवेदन तो पैंडिंग हो चुके हैं। अब इस बड़ी समस्या का हल निकालने की जरुरत है। लोगों का कहना है कि कहीं ऐसा नहीं हों... वाहन छुडाने जाएं और कोरोना ले आएं.।
अभी चार घंटे काम कर रही है मोबाइल कोर्ट तब यह हाल है...
मोबाइल कोर्ट संख्या 27 28 और 29 में जयपुर शहर के वाहनों के चालन छूटने हैं। मंगलवार से ही यहां सही तरीके से रीलिज आर्डर बनाने का काम शुरु हुआ है। सवेरे साढे आठ बजे से साढ़े बारह बजे की कोर्ट है और इस दौरान आधे घंटे का लंच भी है। कोर्ट में जाने के बाद आपको सबसे पहले एप्लीकेशन देनी होगी, उसके बाद आपकी फाइल निकाली जाएगी जो थाने से यहां जमा कराई गई होगी। उसके बाद मजिस्ट्रेड आपके जुर्म पर जुर्माना लगाएंगे और तब जाकर आपके रीलिज आर्डर बनेगा। इस पूरी प्रकिया में करीब दस से पंद्रह मिनट खर्च होंगी।
एक मिनट में भी आॅर्डर बनता है तो लगेगा इतना समय
मान लीजिए कोर्ट में आवेदन से लेकर जुर्माने की प्रक्रिया को पूरी करने में एक मिनट का समय लगता है तो तीन कोर्ट जो एक दिन में 630 मिनट काम करेंगी वह एक दिन में 630 रिलिज आर्डर देंगी। इस हिसाब से 17 हजार पांच सौ से ज्यादा वाहनों के लिए रिलिज आर्डर बनने में 45 दिन से भी ज्यादा समय लग जाएगा। ऐसे में अगर हर दिन इतनी ही भीड़ कोर्ट में रहती है तो इस बारे में सरकार को कोई दूसरे प्रबंध करने होंगे।