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खूंखार बंदियों को सलाखों के पीछे धकेलने वाले जेल अफसर को ही कोरोना ने कैद कर दिया, वह भी एक बार नहीं तीन बार। लेकिन जेल अफसर ने हार नहीं मानी और नियमों का पालन करते हुए चौथी बार में खुद को कोरोना से आजाद कर लिया। राजसस्थान के इकलौते पुलिस अफसर जो कोरोना की चपेट में आए वे हैं जयपुर जिला जेल के अधीक्षक, गोविंद सिंह। वे अगले ही महीने रिटायर हो रहे हैं और फिलहाल होम आईसोलेशन में हैं। उनको उत्तम कार्यों के लिए डीजी डिस्क से सम्मानित किया गया है।
11 मई को पहला बंदी आया तो स्टाफ डर रहा था, बस यहीं मैं फंस गया
जयपुर जिला जेल के स्टाफ और बंदियों के पॉजिटिव आने का सिलसिला अभी भी जारी है। हांलाकि अब इक्का दुक्का ही बंदी स्टाफ संक्रमित हैं बाकि तो इस बीमारी से पार पा चुके हैं। जेल में पहली बार 11 मई को पॉजिटिव मरीज सामने आना शुरु हुए थे। दरअसल 11 मई को बजाज नगर से एक चोर को पुलिस ने जेल भेजा था। हर बंदी की जांच की जानी थी, कोरोना भंयकर रुप ले चुका था। जेल अधीक्षक गोविंद सिंह ने बताया कि जेल स्टाफ नई आमद की जांच करने से डर रहा था। ऐसे में मैने उनके सामने मिसाल रखने की सोची और नियमों के अनुसार जांच करना शुरु किया। सोचा आज तक कोई बीमारी नहीं हुई ये कोरोना क्या कर लेगा। लेकिन सोच गलत साबित हो गई अगले ही दिन। उसके बाद पॉजिटिव आया 13 मई को। तब से जब तक चार जांच की गई जिनमें से तीन बार पॉजिटिव आया और अब चौथी बार में नेगेटिव आया हूं।
घर जाने का निवेदन करता रहा आखिर मान ही गए डॉक्टर
गोविंद सिंह ने बताया कि मेरी जेल से लगातार बंदी पॉजिटिव आ रहे थें, स्टाफ भी संक्रमित हो रहा था। एसएमएस अस्पताल में हर कोई बस यही बात कर रहा था कि आखिर जेल में हो क्या रहा है। इस पर मुझे भी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन वहां क हालात देखकर मैने चिकित्सकों से घर पर ही इलाज लेने की गुजारिश की। कई बार मनाने पर वे तैयार हुई और मैं घर पर ही होम आईसोलेट हो गया। पूरे नियमों का पालन करने के बाद भी जब दो बार और रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो सब्र जवाब देने लगा। सोचा अब अगर चौथी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आती है तो अस्पताल में भर्ती हो ही जाउंगा। लेकिन उपर वाले ने साथ दिया और आखिर अब चौथी रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
घर पर ही जेल जैसी सजा मिल रही थी मुझे
अधीक्षक गोविंद सिंह ने बताया कि जेल के सामने ही घर है। पूरा परिवार साथ है। लेकिन घर वालों से दूरी रखनी थी तो खुद को एक कमरे में कैद कर लिया। अलग खाना, बर्तन, कपडे.... सब कुछ अलग। ऐसा लग रहा था मानों में जेल में बंद हूं और परिवार वाले जेल अफसर हैं। बच्चों ने भी पूरा संयम रखा और उनकी सकारात्मक बातों, ईश्वर के आर्शीवाद से अब में फिर से जेल ज्वाइंन करने की तैयारी कर रहा हूं। आईसोलेशन में गीता पढ़कर मैने दिन काटे और लगातार जेल चिकित्सकों के संपर्क में रहा। इस बीच पिछले शुक्रवार को डीजीप जेल रेड्डी सर भी रिटायर हो गए लेकिन उनके रिटायरमेंट कार्यक्रम तक में नहीं जा सका।