यहां होती जानलेवा सांपों की खेती

Patrika 2020-06-16

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किंग कोबरा, रैटल स्नेक की होती है खेती
बेची जाती है सूखे सांपों की डिश
कोरोना वायरस के पूरी दुनिया में फैलने के बाद चीन की चर्चा हर तरफ है। इस वायरस के लिए तो चीन को जिम्मेदार माना ही जा रहा है साथ ही अब वहां के खाने पीने की चर्चा भी हर तरफ है। माना जा रहा है कि ये वायरस पेंगोलिन या फिर चमगादड़ से फैला है। चीनी लोग कुत्ते.चमगादड़ खाने के लिए चर्चाओं में तो रहे ही और यहां अब जहरीले सांपों की खेती हो रही जोकि इन दिनों बहुत चर्चा में है।
जी हां, चीन के लोग जहरीले सांपों की खेती करते हैं। चीन का जिसिकियाओ गांव इसी काम यानी जहरीले सांपों की खेती के लिए जाना जाता है। यहां किंग कोबरा, वाइपर और रैटल स्नेक जैसे एक से बढ़कर एक जहरीले सांप पैदा किए जाते हैं।
सालों से हो रही खेती
आपको बता दें कि चीन में पुरानी परंपराओं को बहुत तव्वजों दी जाती है। वहां हजारों सालों से परंपरागत चिकित्सा के जरिए जंगली जानवरों और पेड़.पौधों से किसी भी बीमारी के इलाज का दावा किया जाता है। जहरीले सांप से स्किन डिजीज के इलाज का सबसे पहला जिक्र 100 एडी में मिलता है। तब चीन में स्किन की गंभीर समस्या में मरीजों का इलाज सांप की त्वचा की लुगदी बनाकर उसे लगाकर किया जाता था। कहा जाता है कि स्किन की बीमारियों का इलाज करते.करते सांप को गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर में भी इस्तेमाल किया जाने लगा। ऐसे ही सांप का जहर दिल के मरीज को दिया जाता है। साथ ही माना जाता है कि सांप से तैयार दवा शराब पीने से पहले ली जाए तो लीवर पर शराब का असर नहीं होता है और पीने वाला हमेशा स्वस्थ रहता है।

बसंत के मौसम में इनका प्रजनन
आपको यह भी बता दें कि हर साल बसंत के मौसम में इनका प्रजनन होता है और इन्हें पाल.पोसकर गांव वाले इन्हें सर्दियों की शुरुआत में बेच देते हैं। ये भी माना जाता है कि इस गांव से होकर सांप बड़े व्यापारियों के जरिए चीन के कोने.कोने में ही नहींए बल्कि अमेरिका, जर्मनी, रूस और साउथ कोरिया भी भेजे जाते हैं। इसके साथ ही चीन में रेस्टोरेंट में भी सूखे सांपों की डिश बड़े शौक से बेची जाती है। और तो और ये एग्जॉटिक फूड आइटम में आते हैं और बहुत मंहगे दामों पर केवल बड़े होटलों में ही मिलते भी हैं।
छोटे छोटे बक्सों में पाले जाते हैं सांप
गांव के एक बुजुर्ग को सबसे पहले सांपों को पैदा करने का खयाल आया था। अस्सी के दशक में उसने अपनी जमापूंजी लगाकर एक स्नेक फार्म बनाया और धीरे.धीरे गांववालों को भी ये काम सिखाया। अब गांव में तीन उद्देश्यों के लिए अलग.अलग तरीके से सांपों का प्रजनन होता है। एक हिस्से में सिर्फ वाइपर सांप पैदा किए जाते हैं ताकि उनका जहर बेचा जा सके। एक हिस्सा ऐसे सांपों की पैदावार के लिए है, जिनका मांस खाना पसंद किया जाता है और एक हिस्से में सांपों की स्किन, आंखों और ब्लैडर से दवा बनाने के लिए ब्रीडिंग कराई जाती है।
आपको बता दें कि स्नेक फार्म में लकड़ी और शीशे के छोटे.छोटे बक्सों में सांप पाले जाते हैं। जब सांप के बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें प्लास्टिक की थैलियों में भरकर एक से दूसरी जगह ले जाया जाता है ताकि बढऩे के लिए पूरा स्पेस मिल सके। सर्दियों की शुरुआत तक इनकी बढ़त पूरी हो चुकी होती है, तब इन्हें बूचडख़ाने ले जाया जाता है, जहां सांपों की किस्म और उनके उनके इस्तेमाल के आधार पर अलग.अलग सेक्शन होते हैं। जहरीले सांपों का सबसे पहले जहर निकालकर लैब में संरक्षित करते हैं और फिर शरीर के दूसरे हिस्सों का इस्तेमाल होता है।

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